Founder’s Message

 

डॉ रमाकान्त सिंह
अध्यक्ष / संस्थापक

अंतर्निहित पूर्णता ही शिक्षा……………………………………………….

शांति एवं करुणा के अग्रदूत महात्मा बुद्ध ने कहा था “आत्म दीपो भव: “अर्थात अपने दीपक स्वयं बनो। सर्वकालिक सार्थक ये विचार मानव मात्र को प्रेरित करने में समर्थ हैं। छात्राओं को प्रारंभ से ही यह मानना चाहिए कि अपने अटूट आत्मविश्वास एवं निश्चय से वे समय को झुकाकर अपने अनुरूप ढाल सकती हैं। ईश्वर प्रदत्त गुण जैसे ममता, करुणा, स्नेह, समर्पण व धैर्य आदि को ध्यान में रखते हुए समाज में रहकर वे स्वयं ही प्रयास करें तो उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। अपने गुणों के कारण ही समाज में स्त्रियों को ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। नारी अस्मिता की श्रेष्ठता को ध्यान में रखते हुए महाकवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा है:

नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नग पगतल में।
पीयूष स्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में।

वर्तमान में व्याप्त चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए महिलाओं की आत्मनिर्भरता स्वयं की महत्वपूर्ण मांग बन गई है।हमारा यह मानना है कि प्रत्येक छात्रा में प्रतिभा होती है और इनमें छुपी प्रतिभाओं की अभिव्यक्ति शिक्षा एवं स्वावलंबन से ही संभव है। युवा शक्ति के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद ने कहा भी है कि, “शिक्षा मनुष्य में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।” विषम से विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा मनुष्य में साहस उत्पन्न करके मनुष्य को उनके विरुद्ध लड़ने की शक्ति ही नहीं प्रदान करती अपितु हमारे विवेक को भी जागृत करती है।

स्त्री शिक्षा के महत्व के संदर्भ में राधाकृष्णन आयोग में लिखा है – “शिक्षित महिलाओं के बिना शिक्षित व्यक्ति नहीं हो सकते। यदि सामान्य शिक्षा पुरुषों या स्त्रियों तक सीमित रखनी हो तो यह अवसर स्त्रियों को प्रदान किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में शिक्षा निश्चित रूप से आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित की जा सकेगी”। ऐसे ही उच्च विचारों से प्रेरित होकर ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामस्थली महिला महाविद्यालय की स्थापना की गई है।

छात्राओं एवं शिक्षकों के सम्मिलित प्रयास व परिश्रम से महाविद्यालय के परीक्षा परिणाम संख्यात्मक एवं गुणात्मक, दोनों ही दृष्टियों से श्रेष्ठता के आसमान को छूते रहे हैं। श्रेष्ठता की ये ऊँचाइयाँ भविष्य में भी कम नहीं होंगी। छात्राओं के कैरियर निर्माण के लिए भी महाविद्यालय पूर्णतः सजग है। यही महाविद्यालय का दृढ़ संकल्प है।

हम चाहते हैं कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों की उत्तम बातों को आधुनिक उत्कृष्ट ज्ञान के साथ समन्वित कर सकें। हम आधुनिक ज्ञान इस प्रकार अर्जित करें कि टेक्नोलॉजी पर हमारा आधिपत्य रहे, हम उनकी गुलामी एवं दासता न स्वीकारें।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि छात्राएं महाविद्यालय के अक्षुण्ण परंपराओं का निर्वहन करते हुए अपेक्षित एवं उपलब्ध संसाधनों यथा समृद्ध पुस्तकालय, अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, कंप्यूटर लैब व विस्तृत खेल मैदान का सदुपयोग करते हुए योग्य व्याख्याताओं एवं आगंतुक विद्वानों के सम्यक मार्गदर्शन द्वारा अपने बौद्धिक, शारीरिक व चारित्रिक विकास के साथ जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सफल बनेंगी।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ…………………………………………